कैसे इतना खौफनाक बन गया नया कोरोना वायरस, वैज्ञानिकों ने ढूढ़ निकाले इसके खतरनाक राज

आखिरकार नया कोरोना वायरस से बचने का एक मात्र उपाय घरों में बंद होना ही क्यों है? नया कोरोना वायरस में ऐसा नया क्या है, जिसके कारण न सिर्फ दुनिया के सभी देशों को अपनी सीमाएं सील करने पर मजबूर होना पड़ा, बल्कि तीन अरब से अधिक आबादी अपने घरों में कैद होकर रह गई है। वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की भयावहता का राज ढूंढ लिया है और उसे वैज्ञानिक शोध पत्रिका नेचर से ताजा अंक में प्रकाशित भी किया गया है।


नेचर में जर्मन वैज्ञानिकों के अध्ययन के आधार पर छपे शोध के अनुसार वैसे तो नया कोरोना वायरस अपने पुराने कोरोना वायरस सार्स से काफी मिलता-जुलता है। इसीलिए वैज्ञानिकों ने इसे सार्स कोव-दो यानी सार्स कोरोना वायरस-दो का नाम दिया है।दोनों ही वायरस मुंह और नाक से निकलने वाली पानी की अतिसूक्ष्म कणों के सहारे फैलता है। ये दोनों ही वायरस आदमी के फेफड़े में संक्रमण पैदा करते हैं, जिससे आदमी बीमार हो जाता है। दोनों ही वायरस चीन में चमगादड़ से आदमी के शरीर में पहुंचे हैं।


इतनी समानता होने के बाद भी एक जरा-सा अंतर सार्स कोव-दो को सार्स की तुलना में कई गुना ज्यादा घातक बना दिया है। 2002 में सार्स वायरस ने भी दहशत का माहौल बनाया था, लेकिन थोड़ी सी सावधानी से उसे फैलने में रोकने में सफलता मिल गई थी, लेकिन नया सार्स कोव-दो वायरस रूकने का नाम नहीं ले रहा है।


इसके पीछे अंतर सिर्फ इतना है कि सार्स वायरस सांस नली के सहारे शरीर में घुसकर सीधे फेफड़े की कोशिकाओं पर हमला करता है। इसी कारण सार्स पीड़ित मरीज को एक-दो दिन के भीतर ही इसके लक्षण जैसे सर्दी-जुकाम-खांसी, बुखार आदि सामने आ जाते हैं और बहुत सारे लोगों तक वायरस फैलाने के पहले वह अस्पताल में भर्ती हो जाता है।


वहीं नया सार्स कोव-दो वायरस सांस नली के सहारे फेफड़े में जाने के बजाय आदमी के गले के पास ही नली में रुक जाता है। वहीं कोशिकाओं में घुसकर अपनी संख्या बढ़ाने लगता है। जबकि वायरस की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, तो वह फेफड़े तक पहुंचता। फेफड़े में संक्रमण होने के बाद ही सूखी खांसी और बुखार जैसे लक्षण सामने आते हैं।गले से फेफड़े तक पहुंचने में इस वायरस को औसतन छह से सात दिन लग जाते हैं। यही इसे सबसे घातक बना देता है। गले में वायरस मौजूद होने के कारण व्यक्ति में इसके लक्षण तो नहीं दिखते हैं, लेकिन वह दूसरों को इसे फैलता रहता है और जब तक लक्षण सामने आता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।