कोरोना फंड से रेलवे को मिलेंगे 950 करोड़, वस्तुओं की ढुलाई, डिब्बों को आइसोलशन वार्ड में बदलना

नई दिल्ली। कोरोना महामारी से संघर्ष में रेलवे के प्रशंसनीय प्रयासों को देखते हुए केंद्र सरकार ने रेलवे को कोविद-19 फंड से 950 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है।


यात्री यातायात में घाटे के बावजूद रेलवे इन दिनों कोरोना संकट से निपटने के राष्ट्रीय प्रयासों में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इन प्रयासों को मान्य्ता देते हुए सरकार ने रेलवे को फिलहाल कोविद-19 फंड से 950 करोड़ रुपये की विशेष सहायता देने का फैसला किया है।इस रकम का उपयोग आवश्यक वस्तुओं को देश के विभिन्न भागों में निशुल्क पहुंचाने तथा यात्री डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने पर आए खर्च की भरपाई में किया जाएगा। आने वाले वक्त में आकलन के अनुसार सरकार से रेलवे को और मदद मिल सकती है।


रेल मंत्रालय के अनुसार पिछले 11 दिनों में आवश्यक वस्तुओं को देश के विभिन्न भागों में पहुंचाने में रेलवे ने तकरीबन 100 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। जबकि कम से कम इतना ही और खर्च 14 अप्रैल तक करना होगा। यदि लॉकडाउन की अवधि बढ़ती है तो ये खर्च इसी अनुपात में बढ़ जाएगा।इसी प्रकार 5000 यात्री डिब्बों में 80 हजार आइसोलेशन बेड तैयार करने में भी तकरीबन इतनी ही राशि खर्च होगी। अभी तक रेलवे 2500 कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर 40 हजार बेड का इंतजाम कर चुकी है। जबकि 14 अप्रैल तक पूरे 5000 कोच आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर दिए जाएंगे। एक कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने में करीब दो लाख रुपये का खर्च आता है।


जबकि लॉकडाउन खत्म होने के बाद हर डिब्बे को फिर से सामान्य स्थिति में लाने में एक लाख रुपये का और खर्च आएगा। इस तरह इस प्रक्रिया में रेलवे को कुल 150 करोड़ रुपये का खर्च वहन करना होगा। यदि और डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने की नौबत आई तो खर्च इसी अनुपात में बढ़ेगा। इसके लिए रेलवे ने 20 हजार यात्री डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने की तैयारी कर रखी है।


रेलवे की कई इकाइयां कोरोना से बचाव का सामान भी बना रही


इसके अलावा रेलवे की कई इकाइयां तथा कार्यशालाएं कोरोना से बचाव का सामान भी बना रही हैं। जिनमें कवरऑल पीपीई सूट, वेंटीलेटर, मास्क और सेनेटाइजर शामिल है। बाकी रकम का उपयोग इनका कच्चा माल खरीदने में किया जाएगा।इस बीच लॉकडाउन की वजह से रेलवे का सारा प्रशासनिक कार्य रेल मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम रेलटेल द्वारा उपलब्ध कराए गए दूरसंचार एवं ब्राडबैंड नेटवर्क की बदौलत डिजिटल और ऑनलाइन तरीकों से हो रहा है। रेलवे की सारी संचार प्रणाली, वीडियो कांफ्रेंसिंग और ई-आफिस प्लेटफार्म की व्यवस्थाएं रेलटेल ने ही तैयार की हैं और जिन्हें वो गुड़गांव और सिकंदराबाद स्थित अपने दो डेटा केंद्रों से संभालती है।


मौजूदा संकट की स्थिति में आवश्य क वस्तु्ओं की मालगाड़ियों के जरिए ढुलाई भी फ्रेट आपरेशंस एंड इंफारमेशन सिस्टम के जरिए रेलटेल के नेटवर्क पर ही संचालित हो रही है। खास बात ये है कि लॉकडाउन के दौरान रेलटेल का सारा कामकाज मात्र दो-तीन नियमित कर्मचारियों के माध्यम से रोटेशन के आधार पर हो रहा है जिनके रहने और खाने-पीने के इंतजाम रेलटेल के करीबी आवासीय परिसर में ही किए गए हैं।


रेलटेल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक पुनीत चावला ने कहा कि चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद हमारी टीम चौबीसों घंटे काम कर रही है और किसी भी फॉल्ट को ठीक करके नेटवर्क को सुरक्षित रख रही है। यही वजह है कि प्रशासनिक और प्रचालनात्मक कामकाज के साथ रेलवे बोर्ड और जोनल महाप्रबंधकों के बीच होने वाला संचार और वीडियो कांफ्रेंसिंग भी निर्बाध रूप से हो रही हैं।