PSA: 1978 का वो कानून जो शेख अब्दुल्ला ने तस्करों के लिए बनाया, उनके ही परिवार पर पड़ा भारी



पूर्व मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने वर्ष 1978 में लागू किया था। उस समय उन्होंने यह कानून जंगलों के अवैध कटान में लिप्त तत्वों को रोकने के लिए बनाया था, बाद में इसे उन लोगों पर भी लागू किया जाने लगा था, जिन्हें कानून व्यवस्था के लिए संकट माना जाता है।




जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह और महबूबा मुफ़्ती पर पब्लिक सेफ़्टी एक्ट यानी पीएसए लगा दिया गया है। इन दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के अली मोहम्मद सागर और पीडीपी के महासचिव सरताज मदनी पर भी ये सख़्त क़ानून लगाया गया है। आइए जानते हैं क्या है पीएसए और कब यह कानून अस्तित्व में आया, जिसके तहत जम्मू कश्मीर के नेताओं पर मामला दर्ज किया गया। किन-किन नेताओं को इस एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया। 


कब लागू हुआ?


पूर्व मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने वर्ष 1978 में लागू किया था। उस समय उन्होंने यह कानून जंगलों के अवैध कटान में लिप्त तत्वों को रोकने के लिए बनाया था, बाद में इसे उन लोगों पर भी लागू किया जाने लगा था, जिन्हें कानून व्यवस्था के लिए संकट माना जाता है। 

 

किन-किन लोगों को हिरासत मे लिया गया?

2016 में चरमपंथी संगठन हिज़बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद घाटी के सैकड़ों लोगों को इसी क़ानून के तहत हिरासत में लिया गया था।

महबूबा मुफ़्ती ने विधानसभा में यह कहा था कि 2016-2017 में पीएसए के तहत 2,400 लोगों को हिरासत में लिया गया, हालांकि इनमें से 58 फ़ीसदी मामलों को कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया।

साल 2019 में 5 अगस्त को इसी क़ानून के तहत फारूक अब्दुल्लाह को हिरासत में लिया गया था।

 

बिना सुनवाई दो वर्ष कैद

इस कानून के मुताबिक, दो साल तक किसी तरह की सुनवाई नहीं हो सकती थी,लेकिन वर्ष 2010 में इसमें कुछ बदलाव किए गए। पहली बार के उल्लंघनकर्त्ताओं के लिए पीएसए के तहत हिरासत अथवा कैद की अवधि छह माह रखी गई और अगर उक्त व्यक्ति के व्यवहार में किसी तरह का सुधार नहीं होता है तो यह दो साल तक बढ़ाई जा सकती है। यही नहीं यदि राज्य सरकार को यह आभास हो कि किसी व्यक्ति के कृत्य से राज्य की सुरक्षा को खतरा है, तो उसे 2 वर्षों तक प्रशासनिक हिरासत में रखा जा सकता है।